BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

मैक्यावली कूटयोजनात्मक विचारों का इतिहास वास्तव में मैक्यावली से प्रारम्भ होता है। मैक्यावली 16वीं शताब्दी का प्रमुख राजनीतिक एवं सैनिक विचारक था। मैक्यावली को अपने युग का शिशु कहा जाता है। मैक्यावली ने संसार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है कि युद्ध का समाज से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मैक्यावली अधिक समय तक युद्ध चालू रखने के पक्ष में नहीं था तथा उसने छोटी-छोटी लड़ाइयों को बहुत महत्व दिया है। उसके अनुसार "यथार्थ में वह युद्ध नहीं है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे को न मारे जहाँ नगर नष्ट न किये जायें तथा जहाँ प्रदेश बेकार न हो। युद्ध में सभी भव शक्ति का प्रयोग होना चाहिए। युद्ध में राज्य के सम्पूर्ण साधन, समस्त शक्ति तथा बुद्धि सोकस काम आते हैं।

मैक्यावली ने सेना सम्बन्धी विचारों को नये दृष्टिकोण से भरा। उसने इस बात पर बल दिया कि सैनिक शक्ति का राजनीतिक संगठनों से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। उसके सैन्य विचारों की अनेक विद्वानों ने प्रशंसा की है। फिर भी कुछ विद्वानों ने उसके विचारों को वास्तविकता से दूर बताया है। परन्तु इतनी सी बात के लिये उसके विचारों की आलोचना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि उसने सैनिक विचारों के क्षेत्र में मूल बातों की ओर अधिक ध्यान दिया।

बावन मैक्यावली के पश्चात् दूसरा सैन्य विचारक बावन है उसने कूट-योजनात्मक विचारों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया बावन फ्रांस का एक मंत्री था। उसने किलेबन्दी निर्माण करने की कला का क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किया। बावन के विचारों की एक महत्वपूर्ण योग्यता इस बात से सिद्ध हो जाती है कि उसके प्रयासों के कारण ही फ्रांस की सेनाओं में संगठन तथा व्यवस्था का संचार हुआ है। उससे पूर्व फ्रांस की सेनायें अव्यवस्थित थी। बावन के विचारों एवं सिद्धान्तों के कारण ही सेना में एकता की भावना आयी। बावन ने सैनिक कूट योजनात्मक विचारों में प्रशासकों तथा कला विशारदों के महत्व को स्वीकार किया।

जोमिनी बावन के बाद जोमिनी ने सैन्य विचारकों में तीसरे नम्बर पर हैं उसने खातेजी एवं समरतन्त्र पर अपने विचारों को अपनी कुछ पुस्तकों के माध्यम से प्रस्तुत किया। जोमिनी ने युद्ध के सिद्धान्तों की व्याख्या बड़ी ही कुशलता एवं तत्परता से की है। जोमिनी ही पहला विचारक था जिसने कहा कि युद्ध निश्चित सिद्धान्तों के आधार पर लड़ा जाता है। नेपोलियन की युद्धनीतिक तथा समरतांत्रिक प्रणालियों में जो यांत्रिक धारणा थी, जोमिनी ने उसकी व्याख्या की लेकिन नये प्रकार के युद्ध की निहित गतिशीलता और उसके विश्लेषण की ओर ध्यान नहीं दिया। फिर भी उसके महत्वपूर्ण विचार प्रथम महायुद्ध से पूर्व लगभग एक शताब्दी तक विश्व में मान्यता प्राप्त करते रहे। ब्रिगेडियर जनरल हिटिल ने तो जेमिनी की प्रशंसा करते हुए यहाँ तक लिखा है कि, "नेपोलियन युद्ध का देवता और जोमिनी उसका मसीहा था।'

क्लाजविट्ज क्लाजविट्ज एक अत्यन्त प्रसिद्ध युद्धशास्त्री था। क्लाज़विट्ज ने समग्र युद्ध की धारणा को महत्व दिया निःसन्देह युद्ध सम्बन्धी विचारों के इतिहास में क्लाजविट्ज की महत्वपूर्ण देन है। एक विचारक के अनुसार "क्लाज़विट्ज के सैन्य विचार एक देर से फूटने वाले बम के समान है। ऐसा कहा जाता है क्लाजविट्ज 20वीं शताब्दी के भयानक तथा विनाशकारी युद्ध कार्यों का स्रष्टा है। आज भी क्लाजविट्ज के विचारों को महत्व दिया जाता है उसने युद्ध के पश्चात् आने वाली शक्ति के बारे में कोई विचार नहीं किया। उसने यही समझा कि युद्ध में सभी सम्भव साधन लगातार विजय प्राप्त करना ही युद्ध का लक्ष्य है। परन्तु उसकी यह धारणा भ्रमपूर्ण थी, क्योंकि युद्ध का उद्देश्य तो बाद की दशाओं को ध्यान में रखकर ही निर्धारित होता है।

कार्ल मार्क्स तथा एजिल मार्क्स की सबसे बड़ी देन यह है कि उसने हमें कल्पनाओं को छोड़कर वास्तविक तथ्यों व घटनाओं के आधार पर सोचना सिखाया है। उन्होंने आर्थिक सूझ-बूझ का परिचय देते हुए सर्वप्रथम व्यापार चक्र तथा अति उत्पादन के पारस्परिक सम्बन्ध को जगत के समक्ष प्रस्तुत किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि इनका परिणाम बेकारी पर किस प्रकार पड़ता है। समाज में जो कुछ भी मौजूद है उसके युक्तिसंगत विश्लेषण के आधार पर उसके सम्बन्ध में एक पूर्णतया संलिष्ट विचारधारा प्रस्तुत करने की दृष्टि से भी मार्क्सवाद का बड़ा महत्व है। इतना ही नहीं मार्क्स की विचारधारा वस्तुत: आधुनिक युग की एक अत्यन्त सुधारवादी विचारधारा है। सम्पूर्ण संसार पर इसका एक नैतिक प्रभाव पड़ा है।

लेनिन रणनीतिक विचारक न होने के बावजूद भी तत्कालीन परिस्थितियों में मार्क्स के विचारों को कार्यरूप देते हुए लेनिन ने जनता और समाजवादी क्रांति को मार्ग पर लाने की प्रक्रिया में अनेकानेक महत्वपूर्ण विचारक होने के नाते लेनिन क्रांति हेतु हिंसा सैन्य शक्ति एवं अत्यन्त मानवीय घटनाओं के महत्व को अनिवार्य मानते थे।

उसने युद्ध को क्रांति का पोषक की संज्ञा देते हुए कहा कि ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

एडम स्मिथ एडम स्मिथ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे। उसने अपनी पुस्तक 'वेल्थ ऑफ नेशन' में उल्लेख किया है कि राज्य अपने प्राथमिक कर्त्तव्य, समाज की विदेशी आक्रमण से रक्षा का निर्वाह अपनी सैन्य शक्ति के द्वारा ही कर सकता है और राष्ट्र की सैन्य क्षमता का मापदण्ड उसकी उत्पादन क्षमता होती है। अत: यह आवश्यक है कि सैन्य शक्ति का निर्माण अर्थव्यवस्था के आधार स्तम्भों पर ही किया जाये।

एडमिरल अल्फ्रेड थेयर महान सामुद्रिक स्त्रातेजी के विषय में जितना गूढ़ एवं प्रभावित करने वाले सिद्धान्त महान ने प्रतिपादित किये हैं उतने प्रभावशाली ढंग से किसी अन्य सैन्य विचारक ने नहीं निर्देशित किये। महान का "कमाण्ड ऑफ सी" सिद्धान्त के अनुसार 'केन्द्रीयकृत नौ सेनायें युद्ध में निर्णायक सिद्ध होती हैं। इनमें युद्ध पोतों को समूह में संगठित किया जाता है।

महान के अनुसार "निष्क्रीय तटीय सुरक्षा का कार्य स्थल सेना का है, नौ सेना को तो सदैव स्त्रातेजिक आक्रमण के लिए तैयार रहना चाहिए।"

जे. एफ. सी. फुलर- फुलर टैंकों के प्रयोग की नयी कला का प्रतिपादक था जोकि पहले गतिशीलता के होते हुए भी उस स्तर की गतिशीलता नहीं प्राप्त कर सका था, जितनी कि आशा की जाती थी और न ही युद्ध कला को ही प्रभावित कर सका। फुलर ने टैंक का प्रयोग एक शक्तिशाली दुर्ग की भाँति बताया है और साथ ही औद्योगिक युद्ध की प्रकृति में परिवर्तन करने की बात भी कही है। साथ ही उसने शारीरिक तथा मानसिक नेतृत्व की महत्ता को बताया। उसने टैंक को एक कवचित शेर की उपाधि दी।

लिडिल हार्ट- लिडिल हार्ट ने ही सबसे पहले युद्ध को आधारभूत नीति तथा महान स्त्रातेजी का भिन्न-भिन्न क्षेत्र बतलाकर भी युद्ध नीति के उद्देश्यों का वर्णन किया। उसके विचारानुसार आधुनिक युद्ध से बचाव का सही रास्ता सामरिकी की अपेक्षा स्त्रातेजी में है। लिडिल हार्ट ने अप्रत्यक्ष रणनीति के द्वारा दुश्मन की आर्थिक नाकेबन्दी करके तथा उसका मनोवैज्ञानिक विघटन करके उसे परास्त करने पर बल दिया। लिडिल हार्ट के सिद्धान्तों के महत्व को जर्मन सेनानायकों ने समझा और द्वितीय विश्वयुद्ध में उसका पालन किया। लिडिल हार्ट आधुनिक युग के सर्वोत्तम सैन्य विचारक थे जिन्होंने युद्ध संचालन से सम्बन्धित सभी क्रियाओं पर प्रकाश डालकर विश्व के लिये कल्याणकारी मार्ग का द्वार खोल दिया।

डूहेट - डूहेट इटली का जनरल था। उसने युद्ध में वायु सेना के महत्व की ओर अधिक बल दिया। उसके अनुसार वायु सेना की शक्ति को स्थल सेना के कार्यों में सहयोग देते हुए बेकार में ही नष्ट न किया जाये। वायु सेना का सबसे पहला कर्त्तव्य यह है कि वह शत्रु पर नभ प्रभुत्व स्थापित करे तथा शत्रु के सैनिक लक्ष्यों पर आक्रमण करने के बजाय उसके औद्योगिक स्थानों आवागमन के साधनों आदि पर हमला किया जाये जिससे शत्रु की लड़ाई करने की क्षमता घट जाए।

माओत्सेतुंग - माओत्सेतुंग एक ऐसा राजनीतिक चिन्तक था, जिसके सिद्धान्त, उसके देश में राष्ट्रीय संघर्षो के बीच विकसित हुए। उसका उद्देश्य केवल अपने ही देशों में परिवर्तन लाना नहीं था, बल्कि विश्व के सभी समाजों में सम्पूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्रांति की स्थापना करना था। उसे न केवल सिद्धान्तों का साम्राज्यवाद उपनिवेशवाद और साथ ही पूँजीवाद और सामन्तवाद की शक्तियों के विरुद्ध एक जीवन और मरण के संघर्षों का और सामाजिक क्रांति के लिए भी प्रभावपूर्ण साधनों का विकास करने में उसे पर्याप्त सफलता मिली। माओ ने जन नेतृत्व के सिद्धान्त को जन्म दिया।

चे ग्वेरा चे ग्वेरा ने गुरिल्ला युद्ध के ऊपर अपने विचारों को लिखकर छापामार युद्ध कला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध के स्त्रातेजिक विचार कुछ साम्यवादी विचारकों से अलग है। चे ग्वेरा का विचार है कि शत्रु को सदैव परेशान करना चाहिए उसे जरा भी आराम नहीं करने देना चाहिए। शत्रु का मनोबल गिराने के लिए तोड़-फोड़ की कार्यवाही करनी चाहिए, जनता का सरकार से विश्वास मिटा देना चाहिए। चे ग्वेरा को सशस्त्र संघर्ष पर अटूट विश्वास था।

वाई. हर्काबी तथा हेनरी किसिंजर हर्काबी के अनुसार नाभिकीय युद्ध के युग में विश्व शांति का प्रमुख हथियार युद्ध की सतत तैयारी तथा शास्त्रास्त्रों का निरन्तर विधान करते रहना ही है। हर्काबी के अनुसार नाभिकीय युग में स्थापित शान्ति युद्ध की तैयारी की शान्ति है।

इसी प्रकार हेनरी के अनुसार, "वर्तमान परिस्थितियों में विश्व के समक्ष शान्ति का कोई विकल्प नहीं है। उसके अनुसार आणविक हथियारों की असीम विनाशक क्षमता से एक तरह से युद्ध पर अन्तर्निहित प्रतिबन्ध लग जाने के परिणामस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में कूटनीति की उपादेयता बढ़ गयी है।'

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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